एशियन सत्कर्मा मिशन से पर्यावरण संरक्षण और जनसेवा में जुटे स्वामी वीरेंद्रानंद, कोरोना काल में हजारों को पहुंचाई मदद

एशियन सत्कर्मा मिशन से पर्यावरण संरक्षण और जनसेवा में जुटे स्वामी वीरेंद्रानंद, कोरोना काल में हजारों को पहुंचाई मदद

हिल-मेल के विशेष कार्यक्रम ‘बात उत्तराखंड की’ में स्वामी वीरेंद्रानंद ने कहा कि देवभूमि नेचुरोपैथी का एक हॉस्पिटल है। यहां किसी को फिजियोथेरेपी करने की जरूरत नहीं है। यहां 71 प्रतिशत ऑक्सीजन मिलती है। यहां किसी सैनिटाइजेशन की जरूरत नहीं है।

उत्तराखंड के सीमांत जनपद में पिथौरागढ़ में एशियन सत्कर्मा मिशन के संस्थापक स्वामी वीरेंद्रानंद पर्यावरण को लेकर एक विशेष अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कोरोना संकट, उत्तराखंड के विकास, प्रकृति के महत्व, पलायन, स्वरोजगार और पहाड़ में संभावनाओं के हर क्षेत्र में अपने मिशन के माध्यम से काम किया है। हाल ही में हरेला पर्व के अवसर पर उनके मिशन ने ढाई लाख से ज्यादा पौधे लगाए। लेकिन यह अभियान पर्व तक ही सीमित नहीं है, इसे निरंतर आगे बढ़ाया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार में राज्यमंत्री एवं अध्यक्ष वन पंचायत सलाहकार परिषद वीरेंद्र सिंह बिष्ट ने भी हिमालयन आश्राम चौकोड़ी पहुंचकर स्वामी वीरेंद्रानंद एवं एशियन सत्कर्मा मिशन की टीम के साथ वृक्षारोपण किया।

हाल ही में हिल-मेल के विशेष कार्यक्रम ‘बात उत्तराखंड की’ में स्वामी वीरेंद्रानंद ने कहा कि देवभूमि नेचुरोपैथी का एक हॉस्पिटल है। यहां किसी को फिजियोथेरेपी करने की जरूरत नहीं है। यहां 71 प्रतिशत ऑक्सीजन मिलती है। यहां किसी सैनिटाइजेशन की जरूरत नहीं है। यहां की धरती औषधियों से भरी पड़ी है लेकिन हमें 2013 की आपदा को नहीं भूलना चाहिए। गंगा की सफाई का ही काम ले लीजिए तो हमें गोमुख तक जाकर आसपास के गांवों के लोगों को जागरूक करना होगा। हमारे पहाड़ की समस्याओं का समाधान दिल्ली के एसी कमरों में बैठकर नहीं निकल सकता है।

 

 

स्वामी वीरेंद्रानंद ने बताया कि 16 जुलाई को हरेला महोत्सव मनाया जाता है। लॉकडाउन के दौरान हमारे मन में विचार आया कि 16 जुलाई को क्या किया जाए। हमने संकल्प लिया कि पिथौरागढ़ जिले के 156 ग्राम सभाओं में डेढ़ लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया। हमारी कोशिश थी कि हम दो घंटे में इतने पौधे लगा लें। हम कई जगहों पर पौधे के लिए गए लेकिन पौधे नहीं मिले तो हमने यूपी के कई जिलों से पौधे मंगाए।

स्वामी वीरेंद्रानंद ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने हमारे स्कूल को क्वारंटीन सेंटर का रूप दिया। हमें मौका मिला तो 90 दिन तक 17 हजार से ज्यादा लोगों को आश्रय दिया गया, खाना-पानी आदि की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि एक रात में ही 700 से ज्यादा लोग आते थे लेकिन टीम के किसी सदस्य को कोरोना नहीं हुआ।

उन्होंने बताया कि एशियन सत्कर्मा मिशन की ओर से धारचूला मुनस्यारी की विभिन्न ग्राम सभाओं में 60,000 सैनेटाइजर वितरित किए गए। 62,000 फेस कवर/मास्क वितरित किए गए। 11000 ग्लब्ज और 12000 राशन किट वितरित की। 16 सेनेटाइजर छिड़काव मशीन और पिथौरागढ़ से धारचूला तथा मुनस्यारी के 8000 छात्र-छात्राओं व अभिभावकों को गांव पहुंचाया। वापस घर भेजने का काम किया। 20,000 कोरोना प्रतिज्ञा प्रपत्र बंटवाए गए।

इसके साथ ही बाहरी जिलों से आए 17,000 लोगों को गंतव्य तक पहुंचाया गया। धारचुला, मुनस्यारी के 15 मरीजों को जिला अस्पताल प लॉकडाउन के समय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के अन्य जनपदों के मजदूर व अन्य लगभग 200 लोगों को प्रतिदिन भोजन कराने की व्यवस्था की। मिशन के 500 सदस्यों ने 17 हजार लोगों की मदद की।

यही नहीं, सत्कर्मा मिशन ने पुलिस स्टेशन, अस्पतालों एवं अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यालयों में सेंसर सेनेटाइजर मशीन भी वितरित की। मिशन ने डॉक्टर्स डे पर कोरोना महामारी में अपनी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स को सम्मानित किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना काल में सहयोग कर रहे समाजसेवी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मियों को सम्मानित किया गया। यह सारा काम एशियन सत्कर्मा मिशन के संयोजक भूपेश बिष्ट की देखरेख में किया गया। वह लगातार क्षेत्र में लोगों तक मिशन की मदद पहुंचाने की महती भूमिका निभा रहे हैं।

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