केदारनाथ मंदिर, गंगोत्री, यमुनोत्री में सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कपाट भी खुले पर लोगों को इस साल भगवान के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। घरों में बैठे लोग जल्द धाम पहुंचकर दर्शन को आतुर हैं। ई-रैबार की लाइव चर्चा में जुड़े तीर्थ पुरोहितों ने पूजा-पाठ पर लोगों को अहम सलाह दी है।
ई-रैबार में 5 मई को लॉकडाउन के मद्देनजर आध्यात्म और वास्तुशास्त्र पर चर्चा हुई। देवभूमि के तीन विद्वानों – केदारनाथ मंदिर के पुरोहित पं. श्रीनिवास पोस्ती, गंगोत्री मंदिर के पुजारी पं. अशोक सेमवाल और वास्तुशास्त्री एवं अंक ज्योतिषी पं. सुशील बलूनी ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे । चार धाम (Chardham Yatra) के तीर्थ पुरोहितों ने साफ कहा कि लोगों की जान बचाने के लिए लॉकडाउन हुआ है और इसका सभी को पालन करना चाहिए। उन्होंने एक सुर में कहा कि भगवान के भक्त यात्रा का जोखिम न लें और घर से ही प्रभु की आराधना और पूजा-पाठ करें। लाइव शो का संचालन वरिष्ठ पत्रकार ओ पी डिमरी ने किया।
आध्यात्म के कारण भारत में कम फैला कोरोना
केदारनाथ जी के कपाट खुल गए हैं लेकिन लॉकडाउन के कारण भक्त दर्शन नहीं कर पा रहे हैं? पहले के वर्षों में अपार भीड़ देखी जाती थी पर इस साल खामोशी है। इस सवाल पर पुरोहित पंडित श्रीनिवास पोस्ती ने कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि भगवान भक्त के वश में होते हैं, इस साल भगवान केदार बिना भक्तों के हैं। कोरोना ने देश और दुनिया को जकड़ लिया है लेकिन हमें इसे हराने के लिए सामाजिक दूरी का पालन करना होगा। अभी घर से ही प्रभु की स्तुति करें। उन्होंने कहा कि हमारा देश आध्यात्मिक है और यही वजह है कि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में यहां संक्रमण कम फैला है। उन्होंने कहा कि इसमें आध्यात्म का योगदान रहा। आध्यात्म से जुड़े लोग, मंदिरों और गुरुद्वारों से जुड़े लोग हजारों जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं और करोड़ों रुपये दान किए हैं।
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गंगा जी की डोली को लेकर असमंजस में थे लेकिन…
गंगोत्री मंदिर के पुजारी पंडित अशोक सेमवाल ने कहा कि कोरोना संकट में हम समझ नहीं पा रहे थे कि गंगा जी की डोली ले जा पाएंगे या नहीं। बहुत ही असमंजस था। उत्तरकाशी मुख्यालय से 100 किमी की दूरी पर गंगोत्री है। जिला प्रशासन ने बेहतर तरीके से भीड़ को संभाला और पूजा से संबंधित केवल 21 लोगों को गंगोत्री जाने दिया गया। यह स्वागतयोग्य फैसला था। उन्होंने कहा कि देश में आध्यात्मिक प्रधानमंत्री और प्रदेश में आध्यात्मिक मुख्यमंत्री होने के कारण ही हम अच्छे से कोरोना से लड़ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही हम दर्शन कर सकेंगे लेकिन सबको सामाजिक दूरी का पालन करते रहना होगा।
दिसंबर में ही कर दी थी घोर संकट की भविष्यवाणी
आपको बता दें कि ज्योतिष के हिसाब से पंडित सुशील बलूनी ने 8 दिसंबर 2019 को ही महासंकट की भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने कहा, ‘मैंने बताया था कि इस साल को बड़े संकट और परेशानियों के लिए याद किया जाएगा। प्राकृतिक आपदाएं आएंगी, लिंचिंग, दंगे, भूकंप आदि घटनाएं इसी साल में हुई हैं और होंगी।’
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उन्होंने कहा कि आज के समय में ज्योतिष, वास्तुशास्त्र हो या 64 कलाओं से संबंधित कोई भी विधा, हमने ताबीज और टोने-टोंटके तक इसे सीमित कर दिया है, इसकी गहराई में कोई नहीं जाता है। चंद्रमा, राहु के कारण पूरे साल दिक्कतें बनी रहेंगी। अलग-अलग वर्गों के लिए यह परेशानी भरा होगा। आर्थिक और जन हानि के साथ यह साल समाप्त होगा।
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