उत्तराखंड की पवित्र और खूबसूरत चित्रकारी…. ऐपण कला को यूं प्रमोट कर रहे CM रावत

उत्तराखंड की पवित्र और खूबसूरत चित्रकारी…. ऐपण कला को यूं प्रमोट कर रहे CM रावत

उत्तराखंड के लोग ऐपण को जानते और समझते हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि देश और दुनिया भी इसे जाने और प्रदेश को एक नई पहचान मिले। इससे पहाड़ की इस प्राचीन कला का संरक्षण भी हो सकेगा, साथ ही कलाकारों का भी हौसला बढ़ेगा।

उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल की एक लिखावट बरसों से अपनी समृद्ध और गरिमापूर्ण परंपरा की याद दिलाती है। जी हां, वह कोई और नहीं ऐपण है। प्रत्येक कुमाऊंनी परिवार इसके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को बखूबी समझता और सम्मान देता है। आज के दौर में कृत्रिम या मशीनी तकनीकी के आने के बाद इस सांस्कृतिक विरासत की पहचान को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई पहल की है।

सीएम रावत राज्य के इस पारंपरिक आर्ट को खुद प्रमोट कर रहे हैं। पिछले दिनों वह दिल्ली के दौरे पर गए तो उन्होंने कई केंद्रीय मंत्रियों और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सभी को ऐपण कला का उपहार भेंट किया।

तस्वीरें न सिर्फ मीडिया में आईं बल्कि सोशल मीडिया पर भी सीएम के इस कदम की खूब सराहना हुई। प्रदेश के साथ-साथ देशभर के लोगों में ऐपण कला को लेकर एक उत्सुकता बनी। दरअसल, सीएम के इस तरह के प्रयास से न सिर्फ ऐपण के कलाकारों का सशक्तीकरण होगा बल्कि वैश्विक स्तर पर देवभूमि उत्तराखंड की एक अलग पहचान बनेगी।

https://twitter.com/MygovU/status/1364547625056227328?s=20

यह ऐसी रचनात्मकता है जो हर किसी को मोहित कर लेती है। ऐपण के कलाकार अपनी क्रिएटिविटी के माध्यम से प्रकृति और देवी-देवताओं को पेंटिंग में उकेरते हैं। MyGov Uttarakhand के ट्विटर हैंडल @MygovU और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐपण पर केंद्रित एक वीडियो शेयर किया गया है।

कुमाऊं के कलाकार खासतौर से महिलाएं इस बारीक कला में पारंगत होती हैं। ऐपण कई प्रकार से लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ता है। ऐपण के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो इसका मतलब ‘लिखना’ होता है। यह उत्तराखंड के लोगों के त्योहारों, शुभ अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों, नामकरण संस्कार, विवाह आदि सभी पवित्र कार्यक्रमों का हिस्सा बन चुका है।

शुभ कार्यों की शुरुआत ऐपण बनाने से ही की जाती है। रंगोली की तरह ऐपण फर्श, दीवारों और घरों के प्रवेश द्वार, पूजा के कमरे, देवताओं के मंदिर में तो बनाए ही जाते हैं। देवताओं के लिए आसन और लकड़ी की चौकी को खूबसूरत बनाने के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है।

घर और आंगन तक सीमित यह कला अब आधुनिक कला और फैशन में जगह बना रही है। पिछले कुछ वर्षों में आकर्षक ऐपण डिजाइनों को कपड़ों, डायरी, नेमप्लेट और अन्य वस्तुओं पर बनाया जाने लगा है। महिलाएं खासकर हमारी दादी और मां अपनी बेटियों और बहुओं को यह कला सिखाती हैं और इसी तरह से इस अद्भुत लोक संस्कृति का अब तक संरक्षण हो सका है।

2 comments
Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

2 Comments

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this