कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी से जगी उम्मीद, अब हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को मिला लाइसेंस

कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी से जगी उम्मीद, अब हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को मिला लाइसेंस

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के लिए अच्छी खबर है। अब हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा से कोरोना का इलाज हो सकेगा। करीब 100 लोग प्लाज्मा दान करने के लिए भी तैयार हैं। आइए समझते हैं प्लाज्मा, उससे जुड़ी थेरेपी क्या है…..

कोरोना के मामले उत्तराखंड में बढ़ते ही जा रहे हैं। प्लाज्मा थेरेपी ने इलाज को लेकर एक उम्मीद जगाई है। अब हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी के जरिए इलाज करने का लाइसेंस मिल गया है। इससे पहले राजकीय मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने का प्रशिक्षण दिया गया था। बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले कोविड-19 से पीड़ित एक पुलिस उपनिरीक्षक और एक अन्य मरीज को प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी, जिससे दोनों की हालत में सुधार हुआ है।

हालांकि तब मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी के लिए लाइसेंस नहीं मिला था। ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी शुरू करने के लिए कई आपत्तियां लगाई गई थीं और ब्लड बैंक को उसे दूरकर रिपोर्ट भेजनी थी। दो दिन पहले ही ब्लड बैंक की ओर से औषधि निरीक्षक को रिपोर्ट भेजी गई। इसके बाद औषधि निरीक्षक ने सैंपल की रिपोर्ट का निरीक्षण कर संतोष जताया।

इस मामले में जानकारी देते हुए राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा और ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. सलोनी उपाध्याय ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए लाइसेंस मिल गया है। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि प्लाज्मा दान करने के इच्छुक 98 की लिस्ट मेडिसिन विभाग को भेजी है। विभाग के लोग उनसे संपर्क कर बुलाएंगे और प्लाज्मा की जांच करने के बाद कोविड-19 के जरूरतमंद गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जाएगी।

दरअसल, खून का तरल हिस्सा प्लाज्मा कहलाता है। यह पानी और प्रोटीन से बना होता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को शरीर के माध्यम से प्रसारित करने के लिए एक माध्यम प्रदान करता है। इसमें इम्युनिटी के महत्वपूर्ण घटक भी होते हैं जिन्हें एंटीबॉडी के रूप में जाना जाता है।

जब कोरोना जैसा वायरस हमारे शरीर पर हमला करता है तो हमारा इम्यून सिस्टम काम करना शुरू कर देता है। संक्रमण से लड़ने के लिए प्रोटीन निकालता है। इन प्रोटीनों को एंटीबॉडी के रूप में जाना जाता है। अगर संक्रमित व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का उत्पादन करता है, तो वह एंटीबॉडी द्वारा खुद ही ठीक हो जाएगा। इसलिए जो लोग कोरोना से ठीक हो गए हैं उनसे प्लाज्मा दान करने की अपील की जा रही है।

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