राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में भी हरेला पर्व पारंपरिक तरीके से मनाया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. चौहान उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने इस दौरान लोगों को हरेला का महत्व समझाते हुए कहा कि इस पर्व को हर गांव, शहर, देश को मनाना चाहिए क्योंकि यह हम सबके जीवन से जुड़ा है।
हरेला कार्यक्रम सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, अब देश और दुनिया में फैल चुका है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 93वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल में हरेला कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके तहत पौधे लगाए गए। डॉ. एम एस चौहान की अध्यक्षता में संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न प्रकार के फलों के 150 से अधिक पौधों का रोपण किया गया।
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. चौहान ने कहा कि आज उत्तराखंड का लोकपर्व देश ही नहीं, फ्रांस, दुबई और अमेरिका समेत 114 देशों में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हरेला कार्यक्रम में पौधा लगाना, जल संचय, वन्य जीवों का संरक्षण आदि कार्य किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को ये जानकारी देकर उन्हें पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझाया जाता है।
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उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल में हमने देखा कि ऑक्सीजन के लिए कैसी दिक्कत हुई। मानव जीवन ऑक्सीजन के बगैर संभव ही नहीं है। पौधरोपण कार्यक्रम ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने की दिशा में अहम कदम है।
इस कार्यक्रम में संस्थान के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. धीर सिंह, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. आर आर बी सिंह आदि संस्थान के लोग उपस्थित रहे।
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