हरिद्वार में बड़ी तादाद में लोग पहुंच रहे हैं और उन्हें क्वारंटीन किया जा रहा है। हिल मेल के लाइव शो में जुड़े जिलाधिकारी ने जांच और क्वारंटीन की प्रक्रिया समझाई और यह भी कहा कि यहां क्वारंटीन सेंटर को विधिवत सैनिटाइज किया जाता है और ऐसे में किसी को यहां पहुंचने के बाद संक्रमण को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।
हिल-मेल के लाइव शो ‘ई-रैबार’ में उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों के जिलाधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाता है। उनसे जिले में कोरोना को लेकर तैयारियों और हालात पर बात होती है। इसी क्रम में हमने आमंत्रित किया हरिद्वार के जिलाधिकारी सी. रविशंकर को और उनसे बात की वरिष्ठ पत्रकार ओपी डिमरी ने।
जिलाधिकारी ने बताया कि अन्य राज्यों से आ रहे लोगों के कारण संक्रमण बढ़ा है। यह जिला नोडल सेंटर भी है यानी अन्य जिलों के लोग भी हरिद्वार से होकर जाते हैं। कुछ लोगों को यहां क्वारंटीन किया जा रहा है। लॉकडाउन-1 में पहले फोकस इस पर था कि इसे अच्छे से लागू किया जाए, बाद में फोकस आवश्यक सामानों की आपूर्ति पर चला गया क्योंकि तब तक लोग लॉकडाउन के बारे में समझ चुके थे। यहां श्रमिक काफी फंसे थे उनकी परेशानियों को दूर करना और अब लॉकडाउन के चौथे चरण में इकॉनमी को भी रिवाइव करने पर भी फोकस है।
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उन्होंने (DM Haridwar) बताया कि हरिद्वार में लॉकडाउन के पीक में भी 40 से 45 हजार लोग काम कर रहे थे क्योंकि वे दवा एवं अन्य जरूरी क्षेत्रों में काम करते थे। अब ट्रेनों से बहुत से लोग आ रहे हैं। ट्रेनें और बसें काफी आने-जाने लगी हैं। जब भी कोई ट्रेन आती है तो 1200 से 1500 लोगों को उसके जिले के हिसाब से बांटते हैं।
जैसे, कुमाऊं की तरफ के बागेश्वर, अल्मोड़ा और नैनीताल को हल्द्वानी भेजते हैं और चंपावत, पिथौरागढ़, ऊधमसिंह नगर को रुद्रपुर भेजते हैं। देहरादून वालों को देहरादून भेजते हैं। उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और हरिद्वार के लोगों को हरिद्वार में ही रखा जाता है। एक-एक व्यक्ति की यथासंभव टेस्टिंग की जाती है।
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DM ने कहा कि थर्मल स्क्रीनिंग से तापमान लेकर लक्षण मिलने पर टेस्टिंग की जाती है। मुंबई से आने वाले हर शख्स की टेस्टिंग की जाती है। टेस्ट रिजल्ट के आधार पर ही आगे का फैसला लिया जाता है।
उन्होंने बताया कि कभी-कभी कोविड-19 के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, इसके लिए हम अलर्ट रहते हैं और संवेदनशील इलाकों जहां कोरोना ज्यादा फैला है वहां से आने वाले लोगों को यह मानकर टेस्ट किया जाता है कि उन्हें संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा बुजुर्गों या इलाज कराकर आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाती है।
DM ने कहा कि हर व्यक्ति का टेस्ट नहीं कर सकते इसलिए ICMR की गाइडलाइन के अनुसार लक्षण न दिखाई देने वाले मरीज के किसी दूसरे मरीज से संक्रमण होने की आशंका को देखते हुए ही टेस्ट किया जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हर ग्राम प्रधान को क्वारंटीन सुविधा तैयार करने को कहा गया है, जिससे लोगों को अलग रखा जाए।
आखिर में उन्होंने यह भी कहा कि इतनी चेकिंग के बाद भी संक्रमण फैल सकता है, ऐसे में इसे रोकने का एक ही तरीका है सामाजिक दूरी।
पूरा कार्यक्रम देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें…
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