कोरोना को फैलने से रोकने के लिए चल रहे लॉकडाउन से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस संकट ने उत्तराखंड में आम से लेकर खास तक पर चोट की है। रोजगार खत्म हुए, उद्योगों को नुकसान हुआ, पर्यटन चौपट हो गया, तमाम शहरों से प्रवासी घर आए। ऐसे में सवाल यह है कि लॉकडाउन के बाद का उत्तराखंड कैसा होगा?
वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के चलते देशभर में तीन मई तक लॉकडाउन चल रहा है। उत्तराखंड भी इस समय लॉकडाउन में है। कोरोना का प्रभाव लॉकडाउन के बाद शुरू होने वाली सभी आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक गतिविधियों पर पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। लॉकडाउन के बाद के उत्तराखंड पर ‘हिल-मेल’ 27 अप्रैल, सोमवार से सोशल मीडिया पर एक खुली और सार्थक चर्चा ‘ई-रैबार – उत्तराखंड के कल की बात’ शुरू करने जा रहा है।
यह अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ सोशल मीडिया पर खुले सत्र की श्रृंखला होगी। उत्तराखंड में हर क्षेत्र में आने वाले चुनौतियों, उनके हल और सुझावों पर बात होगी। लॉकडाउन के बाद सोशल मीडिया और प्रभावी होकर निकला है। इस तरह के प्लेटफॉर्म से होने वाली चर्चा की पहुंच व्यापक होती है। हिल-मेल शुरुआत में चार-धाम यात्रा और लॉकडाउन का उस पर प्रभाव, रिवर्स पलायन, लॉकडाउन के बाद लौटे उत्तराखंडियों के रोजगार एवं आर्थिकी पर चर्चा, आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नए प्रयास, शिक्षा, वन एवं पर्यावरण, पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व जैसे विषयों पर विशेषज्ञों के साथ चर्चा करेगा।
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इस ई-रैबार के माध्यम से हिल-मेल का प्रयास होगा कि लोग मौजूदा स्थिति, आने वाली चुनौतियों, सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से रूबरू हों। ‘ई-रैबार – उत्तराखंड के कल की बात’ का फॉर्मेट काफी सामान्य रखा गया है। इसमें एक मॉडरेटर और एक विशेषज्ञ अतिथि अपने-अपने घर अथवा कार्यालय से लाइव होंगे। हिल-मेल के फेसबुक और दूसरे प्लेटफॉर्म पर लाइव प्रसारित होने वाली इस वार्ता के दौरान कुछ दर्शकों के सवाल भी लिए जाएंगे।
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ई-रैबार की शुरुआत के लिए हिल-मेल ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य एवं कोस्ट गार्ड के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र सिंह, एयर इंडिया के पूर्व सीएमडी एवं रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अश्विनी लोहानी, प्रख्यात गीतकार एवं सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी, रॉ एवं एनटीआरओ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी, माताश्री मंगलाजी, अभिनेता हेमंत पांडे, पर्यावरणविद् अनिल जोशी, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण समेत कई शख्सियतों से संपर्क साधा है। लगभग सभी ने कार्यक्रम के लिए सहमति दे दी है।
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