लॉकडाउन में अभिभावकों और बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन से रूबरू होना पड़ा। हालांकि स्कूल फीस को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है। फीस दें या नहीं, दें तो कितनी दें, क्या स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिया है।
कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई कराई लेकिन स्कूल फीस को लेकर विवाद बना रहा। अभिभावक भी पसोपेश में रहे कि वे फीस दें तो कितनी दें। अब हाई कोर्ट के 10 जून के आदेश के तहत उत्तराखंड सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। स्कूल प्रबंधन ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अब फीस लेने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि निजी स्कूल चालू शैक्षिक सत्र 2020-21 में किसी भी परिस्थिति में फीस में वृद्धि नहीं करेंगे।
यह बात स्पष्ट की गई है कि वे फीस तभी ले सकते हैं जब ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे होंगे। अन्य किसी भी प्रकार का शुल्क अभिभावकों से नहीं लिया जाएगा। एक बात यह भी स्पष्ट की गई है कि अगर किसी विद्यालय द्वारा अतिरिक्त विषयों का अध्यापन ऑनलाइन कराया जा रहा है तो वह स्कूल अतिरिक्त शुल्क ले सकता है।
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इसके साथ ही स्कूलों पर फीस न बढ़ाने और सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की पाबंदी लगाई गई है। सरकार की ओर से साफ कहा गया है कि स्कूल फीस में देरी के चलते किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटा जाएगा। शुल्क में असमर्थता जताने पर स्कूल के प्रधानाचार्य/प्रबंध समिति अतिरिक्त समय देंगे।
इसके साथ ही शैक्षिक सत्र 2020-21 में निजी विद्यालयों द्वारा किसी भी परिस्थिति में शुल्क में वृद्धि नहीं की जाएगी। शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम की तरफ से जारी शासनादेश में यह भा कहा गया है कि स्कूलों को स्टाफ और शिक्षकों का वेतन समय से देना होगा।
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