उत्तराखंड के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन राजीव भरतरी ने हिल-मेल को बताया कि पांच साल में एक स्नो लेपर्ड सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। यह न सिर्फ स्नो लेपर्ड के संरक्षण की दिशा में अहम कदम होगा बल्कि पर्यटन और आसपास के गांववालों के साथ ही शोध के छात्रों के लिए भी काफी सहायक सिद्ध होगा।
उत्तराखंड में लगातार दुर्लभ प्रजाति के स्नो लेपर्ड यानी हिम तेंदुए दिखाई दे रहे हैं। चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में स्थित नंदा देवी पार्क और उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में स्नो लेपर्ड दिखने से वन विभाग और पशु प्रेमी खासा उत्साहित हैं। नंदा देवी नेशनल पार्क के ट्रैप कैमरे में कुल 12 हिम तेंदुए देखे गए हैं। बताया जा रहा है कि कैमरे में उनकी तस्वीरें जनवरी से मार्च 2020 के बीच कैद हुई हैं।
ट्रैप कैमरे ऐसी जगह लगाए जाते हैं जहां दुर्लभ जीवों के मिलने की संभावना रहती है और बाद में 2-3 महीने बाद उसे चेक किया जाता है। अप्रैल के पहले हफ्ते में नंदा देवी पार्क के मलारी इलाके में रखे गए ट्रैप कैमरे को चेक किया गया तो इसमें चार स्नो लेपर्ड के बारे में जानकारी मिली। इसमें हिम तेंदुए का एक जोड़ा भी देखा गया है, जो दुर्लभ है। बाद में 8 अन्य की जानकारी मिली।
(नंदा देवी पार्क में 13 फरवरी 2020 को शाम 4.13 बजे कैद की गई तस्वीर)
इन कैमरों ने स्नो लेपर्ड की गतिविधियों को भी रिकॉर्ड किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 516 स्नो लेपर्ड हो सकते हैं, जिसमें उत्तराखंड के 86 स्नो लेपर्ड शामिल हैं। सबसे ज्यादा स्नो लेपर्ड जम्मू-कश्मीर में 285 हैं। शिकार और अपने रहने के ठिकाने नष्ट होने के कारण स्नो लेपर्ड के सामने खतरा बना रहता है। ये हिमालयी क्षेत्र में 3,000 से 4500 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं।
वन विभाग का कहना है कि लॉकडाउन के मद्देनजर वन तस्करों और वन्य जीवों की चहलकदमी पर पैनी नजर रखी जा रही है। रिजर्व क्षेत्र में बर्फ काफी जमी हुई है, जिस कारण हिम तेंदुए निचले इलाकों में आ गए हैं।
(13 फरवरी 2020 को शाम 4.13 बजे की तस्वीर)
क्या स्नो लेपर्ड की आबादी बढ़ रही है?
यह पूछे जाने पर उत्तराखंड के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन राजीव भरतरी ने ‘हिल-मेल’ से कहा कि हम अभी ये नहीं कह सकते हैं कि उनकी आबादी बढ़ रही है, लेकिन इतना जरूर है कि उनकी मौजूदगी का प्रमाण मिल रहा है। हमने इस साल और अगले साल गिनती करने का प्लान बना रखा है, तो यह जानकारी उसमें सहायक होगी।
(14 मार्च 2020 को शाम 5.24 बजे की तस्वीर)
स्नो लेपर्ड संरक्षण केंद्र बनेगा, जानें खासियत
उत्तराखंड के गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड संरक्षण केंद्र बनाया जाएगा। भरतरी ने बताया कि भैरों घाटी से लंका के बीच बहुउद्देशीय केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे प्रशिक्षण, जागरूकता, पर्यटन और पास के गांववालों की आजीविका का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने बताया कि इसकी इमारत के लिए राज्य सरकार ने करीब 85 लाख रुपये जारी कर दिए हैं।
उन्होंने बताया कि पास में पांच गांव हैं, यहां के लोगों को फायदा होगा। संरक्षण केंद्र में एग्जीबिशन दिखाई जाएगी, ऑडियो-वीडियो प्रजेंटेशन होगा, शोधकर्ताओं के रहने के लिए जगह होगी, शॉप होगी। हाथी पार्क कैफे भी होगा। आगे टूर भी शुरू कर सकते हैं। गाइड और पर्यटक दोनों को मदद मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालय के तहत पर्यटकों को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से जानकारी दी जाएगी, जिससे वे दुर्लभ जीव के संरक्षण में अपनी भूमिका निभा सकें।
भरतरी ने बताया कि आसपास के युवाओं को ही कैफे के संचालन की अनुमति दी जाएगी। UNDP के साथ, केंद्र और राज्य सरकार की फंडिंग पर यह केंद्र करीब 5 साल में बनकर तैयार होगा। उन्होंने बताया कि बिल्डिंग तो 2-3 साल में बन जाएगी लेकिन प्रशिक्षण और पर्यटकों के सुविधाओं के निर्माण में समय लगेगा। इलाके को साफ कर प्राकृतिक वनस्पतियों को लगाया जाएगा, जिससे पक्षी, तितली और दूसरे वन्य जीव आएं।
उन्होंने आगे कहा कि गंगोत्री का अपना आध्यात्मिक महत्व है। यहां आध्यात्मिक पर्यटक, धार्मिक, एडवेंचर वाले सभी आते हैं। कर्मचारी अभी सर्दियों में उत्तरकाशी आ जाते थे, इस केंद्र में ऐसी सुविधाएं बनाने की कोशिश की जाएगी कि यहां गर्मी बनी रहे और कर्मचारी 12 महीने यहां रुक सकें। यहां 8 फीट तक बर्फ गिरती है तो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बर्फ में एक महीने तक लगातार रहा जा सके। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल में तीसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
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