गढ़वाल-कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड एक ऐसा संगठन है, जिसे पहाड़ से निकलकर अपने-अपने क्षेत्रों में बड़ा मुकाम हासिल करने वाले उत्तराखंडियों ने बनाया है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पहाड़ के ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क स्थापित कर अपनी संस्कृति को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाना है।
उत्तराखंड से निकलकर देश-दुनिया में अपने हुनर का डंका बजाने वाले पहाड़ के बेटे-बेटियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। आज उत्तराखंडी ऐसे मुकाम पर खड़े हैं, जहां से वे देश की दशा-दिशा तय करने वाले नीति-निर्धारकों की टीम में अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज शासन-प्रशासन, राजनीति, खेल, गीत-संगीत, सिनेमा, साहित्य, चिकित्सा और विज्ञान समेत कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां पहाड़ से निकले हुनर ने अपनी छाप न छोड़ी हो।
अब आने वाली पीढ़ी को इन तमाम पहाड़ के सपूतों के नक्शेकदम पर आगे बढ़ाने के लिए एक अभिनव पहल हो रही है। इस पहल के सूत्रधार बने हैं, प्रख्यात गायक, गीतकार-संगीतकार बीके सामंत। ‘ऐजा ओ पहाड़’, ‘थल की बाजार’ जैसे बेहतरीन गीतों को अपनी आवाज देने वाले बीके सामंत ने पहाड़ के कई लोगों के साथ मिलकर गढ़वाल-कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड की स्थापना की है। वह इस संगठन के जरिये पहाड़ के प्रभावशाली लोगों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। इस सिलसिले में पिछले कुछ दिनों में वह कई लोगों से मिले हैं। उन्होंने देहरादून-दिल्ली और मुंबई में गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, गायक जुबिन नौटियाल समेत कई हस्तियों से मुलाकात की।
गढ़वाल-कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड एक ऐसा संगठन है, जिसे पहाड़ से निकलकर अपने-अपने क्षेत्रों में बड़ा मुकाम हासिल करने वाले उत्तराखंडियों ने बनाया है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पहाड़ के ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क स्थापित कर अपनी संस्कृति को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाना है।
हिल-मेल से बातचीत में गढ़वाल-कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड के संस्थापक बीके सामंत ने कहा कि हम पहाड़ के प्रत्येक बच्चे को सफल होने का एक समान अवसर देना चाहते हैं। हम उत्तराखंड की युवा शक्ति को एक कर उन्हें एक गौरवान्वित उत्तराखंडी में तब्दील करना चाहते हैं। हमने शिक्षा, चिकित्सा, खेल, संस्कृति एवं सामाजिक गतिविधियों में ज्यादा से ज्यादा फोकस रखने की योजना बनाई है।
गढ़वाल-कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड एक अभिनव पहल भी करने जा रहा है। वह पहाड़ के गांवों के स्कूलों से मेधावी बच्चों की पढ़ाई का खर्च वहन करेगा। साथ ही पहाड़ के बच्चों को उनकी पसंद के खेलों में अच्छी कोचिंग के लिए भी मदद करेगा। यही नहीं संगठन की योजना स्कूलों में होने वाले खेलों का प्रायोजक बनने की भी है।
बीके सामंत ने बताया कि हम इसके लिए सिलसिलेवार तरीके से पहाड़ के गांवों का चयन करेंगे और जरूरत के मुताबिक विकास कार्य करेंगे। इसमें ज्यादा फोकस हमारे पुश्तैनी घरों का रखरखाव करने पर होगा। इसके साथ ही खेती, बिजली, पानी, चिकित्सा, सड़क आदि के क्षेत्र में आ रही समस्याओं को हल करने के लिए काम करना शामिल है।
उन्होंने बताया कि हमारे एक बड़ा मकसद पलायन कर चुके उत्तराखंड के लोगों को उनके गांव से फिर जोड़ना भी है। इसके लिए हम ऐसे सभी लोगों को कम से कम 15 दिन अपने गांव में बिताने के लिए प्रेरित करेंगे, जो पहाड़ों से पूरी तरह दूर हो चुके हैं। साथ ही यह कोशिश रहेगी की होमस्टे योजना की मदद से गैर-पहाड़ी लोगों को भी उत्तराखंड के सुदूरवर्ती गांवों और संस्कृति से जोड़ा जाए। साथ ही अपने पारंपरिक त्यौहार, गीत-संगीत को संरक्षित करने के लिए काम किया जाए।
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