कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस दौरान गरीबों और उन लोगों की परेशानी बढ़ गई है जो रोज कमाकर खाते थे। ऐसे में उत्तराखंड पुलिस लगातार मदद पहुंचाने के काम में जुटी है। इस मदद में कोई रुकावट न हो, इसके लिए पुलिसकर्मियों ने अपनी शादी तक टाल दी।
देश इस समय कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और इस जंग में हमारे योद्धा हैं- डॉक्टर, नर्स और पुलिसकर्मी। ‘ड्यूटी पहले’ के अपने फर्ज का पालन करते हुए सभी जी जान से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। कोई हफ्तों से घर नहीं गया तो कोई जाता है और गेट पर खाना खाकर लौट आता है क्योंकि यह डर बना रहता है कि कोरोना उनके घर में न घुस जाए। पिछले दिनों ऐसी कई तस्वीरें सामने आईं, जिसने इन ‘कोरोना वीरों’ के प्रति देशवासियों के सम्मान को और बढ़ा दिया।
उत्तराखंड पुलिस भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के साथ इस मुश्किल घड़ी में गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद के लिए आगे आई है। पुलिस के जवान खाना बनाकर गरीबों को खिला रहे हैं तो किसी थाने के पूरे स्टाफ ने एक-एक परिवार की मुश्किलों को दूर करने की जिम्मेदारी ले ली है। अपने कर्तव्य को महत्वपूर्ण मानते हुए बागेश्वर की पुलिस उपाधीक्षक संगीता और रुद्रप्रयाग की महिला कांस्टेबल कविता ने अपनी शादी भी टाल दी और ड्यूटी ज्वाइन कर ली है।
पुलिस के जवान अपनी हरसंभव कोशिश कर रहे हैं जिससे आम नागरिकों को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सके। खाना खिलाने और दूसरी मदद के साथ पुलिसकर्मी लोगों की जान बचाने के लिए सहर्ष अपना खून भी दे रहे हैं। बागेश्वर में महिला SI निशा पाण्डेय को जब पता चला कि एक महिला को खून की जरूरत है तो उन्होंने फौरन अपना खून देने का फैसला किया।
उन्होंने प्रसव पीड़िता और उसके बच्चे की जान बचाई। खून चढ़ने के बाद महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। पुलिस स्टाफ और आसपास के लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। उत्तराखंड पुलिस की ऐसी कई कहानियां हैं, जो न सिर्फ हमें प्रेरित कर रही हैं बल्कि यह संदेश भी दे रही हैं कि लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड पुलिस दोहरी भूमिका निभा रही है। एक कोरोना योद्धा के रूप में और दूसरा समाजसेवक के रूप में।
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वाह उत्तराखंड पुलिस ! कोई प्रवासी मजदूरों के बच्चों को पढ़ा रहा, किसी ने दिया बर्थडे सरप्राइज - Hill-Mail
April 20, 2020, 12:58 pm[…] […]
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