देश में कोरोना के रोजाना मामले अब डेढ़ लाख से कम आने लगे हैं। ऐसे में हो सकता है लोगों में यह भावना पैदा हो रही हो कि अब तो कोरोना काबू में आ गया है अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं है, जी नहीं कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। वैसे भी कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका है। ऐसे में कोरोना से मौतों के ये आंकड़े सावधान कर रहे हैं।
उत्तराखंड में कोरोना के मामले काफी कम हो गए हैं। 1 जून को 981 नए केस आए और 36 लोगों की मौत हुई। सैंपल पॉजिटिविटी 7 प्रतिशत के करीब है। इस बीच, मई महीने को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक आंकड़ा सामने आया है, जिसमें उत्तराखंड को लेकर टेंशन वाली बात सामने आई है। दरअसल, बीते महीने में दिल्ली में कोविड डेथ रेट (CFR) 2.9 प्रतिशत रही, जो देश के बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा है। इतना ही नहीं, यह राष्ट्रीय औसत से भी दोगुने से ज्यादा है।
मई में केवल दिल्ली ही नहीं, पंजाब के साथ देवभूमि उत्तराखंड में भी मौतों की दर काफी अधिक थी। राष्ट्रीय औसत से ज्यादा पंजाब में 2.8 प्रतिशत और उत्तराखंड में 2.7 प्रतिशत मौतों की रफ्तार दर्ज की गई। इस लिहाज से देखें तो मई का महीना सबसे घातक रहा है।
इस दौरान देशभर में 1,19,183 लोगों की मौत हुई। कोरोना के फैलने के बाद यह किसी भी देश में एक महीने में हुई सबसे ज्यादा मौतें हैं।
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राजधानी दिल्ली में मई के महीने में 8,090 मौतें और करीब 2.8 लाख केस सामने आए। इस तरह से देखें तो सीएफआर 2.92 प्रतिशत था। इससे ज्यादा मई के महीने में केवल अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 4.2 प्रतिशत और नगालैंड में 3.4 प्रतिशत डेथ रेट था।
उत्तराखंड की बात करें तो जून के महीने में भले थोड़ी राहत महसूस की जा रही है पर अभी केस शून्य नहीं हुए हैं और ऐसे में सभी लोगों को सामाजिक दूरी का पालन, मास्क पहनते रहना होगा। कुल कोविड डेथ की बात करें तो प्रदेश में 6497 लोगों की मौत हुई है।
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