कोरोना से जंग में टिहरी ने किया कमाल, 99% रिकवरी वाले मॉडल की हो रही चर्चा

कोरोना से जंग में टिहरी ने किया कमाल, 99% रिकवरी वाले मॉडल की हो रही चर्चा

ऐसे समय में जब देश में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले ने शानदार परिणाम देकर एक मॉडल सामने रखा है। आइए जानते हैं कि आखिर जिला प्रशासन ने क्या कमाल किया और कैसे….

कोरोना से जंग लड़ रहे उत्तराखंड को टिहरी जिले ने नई राह दिखाई है। कोरोना के 421 मामलों में से 416 की रिकवरी हो और केवल तीन एक्टिव केस बचने से पूरे प्रदेश में टिहरी की चर्चा है। जिले में कोरोना से दो लोगों की मौत हो चुकी है। 99 प्रतिशत रिकवरी रेट वाले इस जिले ने ऐसा क्या किया कि आज इसके मॉडल को अपनाने की बात हो रही है। राष्ट्रीय स्तर पर टिहरी मॉडल पर रिसर्च की बात हो रही है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर टिहरी प्रशासन ने यह कैसे कर दिखाया।

आपको बता दें कि टिहरी गढ़वाल जिले में मई के आखिर में कोरोना का पहला मरीज सामने आया। धीरे-धीरे प्रवासी आते गए और यह संख्या बढ़ती गई। एक समय उत्तराखंड में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर आ गया। हालात बिगड़ते गए तो सरकार ने युवा और तेजतर्रार जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को कोरोना पर काबू करने के लिए जिले की कमान सौंपी। 26 मई को उन्होंने चार्ज संभाला।

पहला बड़ा कदम

डीएम मंगेश घिल्डियाल ने आते ही प्रवासियों को जिले के बॉर्डर पर मुनि की रेती में क्वारंटीन करने के निर्देश दिए, जिससे संक्रमण फैलने के खतरे को कम किया जा सके। आगे जब प्रवासियों को गांव में क्वारंटीन किया गया तो हर 6 गांव में एक नोडल अधिकारी की तैनाती की गई। इस तरह से जिले में 172 नोडल अधिकारी बना कर एक कोरोना के खिलाफ मास्टरप्लान तैयार किया गया।

दूसरा फैसला- जबरदस्त निगरानी

संक्रमण को लेकर सीधी जवाबदेही तय की गई। 172 अधिकारियों पर हर ब्लॉक में एक चीफ नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया, जो 24 घंटे डीएम से कनेक्ट रहते थे। हर क्वारंटीन सेंटर और गांव में एक्टिव सर्विलांस पर विशेष ध्यान दिया गया। इन सब चीजों का फायदा यह हुआ कि किसी को सर्दी-जुकाम भी होती तो रिपोर्ट जिला प्रशासन तक पहुंच जाती।

तीसरा कदम- हर गांव की निगरानी, आशाओं की अहम भूमिका

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने खुद लगातार कंटेनमेंट जोन और प्रभावित गांवों का दौरा किया। उन्होंने कोरोना के खिलाफ जंग में अहम भूमिका निभाने वाली आशा कार्यकर्ताओं और प्रधानों को प्रोत्साहित किया। टिहरी गढ़वाल के डीएम मंगेश घिल्डियाल मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि कोरोना संक्रमण रोकने में सबसे अहम भूमिका प्रधान और आशाओं की है। उन्होंने जमीनी स्तर पर काफी मुस्तैदी से काम किया, जिससे 10 कंटेनमेंट जोन में कोई कोरोना केस नहीं आया।

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सकारात्मक असर यह हुआ कि संक्रमण की रफ्तार तेजी से कम हुई क्योंकि निगरानी रखी जाने लगी और दूसरी तरफ स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती गई। अब पूरे प्रदेश में टिहरी के फॉर्मूले की चर्चा है और इस पर स्टडी कर उत्तराखंड ही नहीं देश में अपनाने की बात हो रही है।

कोरोना के मामलों पर नजर रखने वाले उत्तराखंड के विशेषज्ञ अनूप नौटियाल ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, ‘टिहरी जिले ने कमाल कर रखा है। 420 कोरोना केस मे 415 की रिकवरी हो चुकी है और अभी सिर्फ तीन एक्टिव केस बचे हैं (2 मृत्यु )। मैं अपील करूंगा कि 99% रिकवरी रेट वाले हमारे इस जिले के कोरोना काल पर रिसर्च होनी चाहिए, हो सकता है की देश और प्रदेश को यहां से कुछ अच्छी सीख मिले।’

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