उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल, उधमसिंह नगर समेत कई जिलों में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। कर्फ्यू लगा है पर संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हो रही है तो अब कोरोना के खिलाफ जंग में कैसी रणनीति अपनाने की जरूरत है। यह रिपोर्ट पढ़िए…
उत्तराखंड में 1 करोड़ की आबादी और पिछले दो दिनों में लगातार 7-8 हजार से ज्यादा मामले। 6 मई 2021 को प्रदेश में कोरोना के सर्वाधिक 8517 नए मामले सामने आए। ये आंकड़े हालात को समझाने के लिए काफी हैं। स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ा नहीं, सब कुछ चरमरा गया है। बेड, ऑक्सीजन, दवाओं की मांग इतनी बढ़ गई है कि कालाबाजारी का घिनौना खेल होने लगा है। कोरोना की पहली लहर में जो पहाड़ सुकून के साथ सांस ले रहे थे, अब वहां भी संक्रमण का खौफ है। पहाड़ी इलाकों में भी लोग कोरोना संकट की चपेट में हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमें गांव तक कोरोना को फैलने से रोकना है लेकिन अब वो सब चीजें पीछे छूट चुकी हैं। इसकी वजह क्या रही, थोड़ी लापरवाही, थोड़ा संक्रमण की भयावहता… कुछ भी हो पर सच्चाई यह है कि उत्तराखंड की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है।
उत्तराखंड में कोरोना के मामलों पर बारीकी से नजर रखने वाले एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कोरोना के संक्रमण को थामने के लिए लगाए गए कर्फ्यू पर भी सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने लिखा- ये कैसा कर्फ्यू? 11 दिन से देहरादून और उत्तराखंड के कुछ अन्य इलाकों मे कर्फ्यू है। कर्फ्यू का उद्देश्य संक्रमण रोकना था। 11 में 10 दिन में देहरादून में 2000+ केस आए हैं। ऐसे में यह सवाल तो उठेगा और इतने दिन बाद भी कर्फ्यू के परिणाम क्यों नहीं आए और क्या रणनीति में बदलाव की जरूरत है। अभी तक कर्फ्यू बेअसर है।
उन्होंने 26 अप्रैल से 5 मई 2021 तक अकेले देहरादून के आंकड़े सामने रखकर बताने की कोशिश की है कि कैसे पॉजिटिविटी रेट लगातार बढ़ रहा है। इसका मतलब साफ है कि कहीं कुछ कमी है। 26 अप्रैल को पॉजिटिविटी रेट 15 प्रतिशत पर रहता है और 5 मई के यह 28 प्रतिशत पहुंच जाता है।
On 9/10 days, cases are 2000+ in curfew bound #Dehradun. Other than case, alarming that positivity rate has also gone up during past 10 days. Data is clearly showing curfew not working
26/4-2034
27/4-2218
28/4-2329
29/4-2207
30/4-1915
1/5-2266
2/5-2580
3/5-2026
4/5-2789
5/5-2771 pic.twitter.com/NRFnFoeBBL— Anoop Nautiyal (@Anoopnautiyal1) May 6, 2021
वह अकेले विशेषज्ञ नहीं हैं जो यह कह रहे हैं कि लॉकडाउन की अंतिम और एकमात्र ठोस विकल्प है जिससे कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है। अभी कुछ जगहों पर थोड़ समय के लिए दुकानें खुलती हैं। लोग भी कम समय के लिए ही सही निकल भी रहे हैं। यानी आवाजाही, न चाहते हुए भीड़ तो ही रही है। तो फिर संक्रमण कैसे रुकेगा।
अनूप नौटियाल कोरोना के खिलाफ जंग में लोगों की भूमिका को भी पूरा महत्व देते हैं। उन्होंने कहा- सरकार की बहुत बात हो गई। अगर हम यानी पब्लिक खुद अपने व्यव्हार में बदलाव नहीं लाते तो सरकार लाख लॉकडाउन लगा दे, कोरोना के केस कम नहीं होने वाले। अगर आप और मैं अपने-अपने स्तर पर कुछ कोशिश करें और अगर सरकार थोड़ा और ज़ोर लगाए तो समय बदलते समय नहीं लगता।
उनका इशारा स्पष्ट रूप से लोगों की लापरवाही की ओर है जो अब भी घर से बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे। कोरोना कैसे पहाड़ के दुर्गम इलाकों तक पहुंच गया है, इसे इस वीडियो से समझिए। एक बुजुर्ग की तबीयत खराब हो गई, कोई मदद के लिए आगे नहीं आया तो उत्तराखंड पुलिस के जवान पीपीई किट में पहुंचे। हालांकि उस बुजुर्ग को बचाया नहीं जा सका।
कोरोना के खौफ से बेहोश बुजुर्ग की मदद को कोई नहीं आया आगे, तो पुलिसकर्मियों ने तुरंत पीपीई किट पहनी और बुजुर्ग को कंधे में लेते हुए दुर्गम रास्ते पार कर सड़क लाए और चौखुटिया अस्पताल पहुंचे। परंतु बुजुर्ग बच नहीं पाए। कृपया कोरोना से डरें नहीं, मनवीयता के नाते मदद को आगे आएं। pic.twitter.com/rR1hlWjRsd
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) May 6, 2021
देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर भी आएगी और उससे बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं। यानी अब वक्त आगे की रणनीति बनाने का है। ऐसे में मास्क पहनने और एक दूसरे से दूरी बनाने की जिम्मेदारी एक उत्तराखंडी या कहें कि हर एक देशवासी को उठानी होगी। सरकार के स्तर पर बेड, ऑक्सीजन और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करते हुए आगे की रणनीति तैयार करनी होगी। अब जरूरत है सख्त लॉकडाउन की, जिसमें लापरवाही की गुंजाइश न हो क्योंकि जान है तो जहान है।
इस संकट की घड़ी में उत्तराखंड पुलिस के जवान दिन-रात जुटे हुए हैं। लोगों को हर तरह से मदद पहुंचा रहे हैं। कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे, जिनका कोई नहीं उनका अंतिम संस्कार कर रहे, यहां तक कि इमरजेंसी में लोगों के घर सिलेंडर भी पहुंचा रहे हैं तो क्या हम अपने घर में कुछ दिन रहकर इस लड़ाई में अपना योगदान नहीं कर सकते।
बुधवार को नैनीताल में नियुक्त SI दीपक बिष्ट, SI मोहम्मद यूनुस, SI कमल कोरंगा और देहरादून में कांस्टेबल हिमांशु जोशी ने कोरोना संक्रमितों के लिए प्लाज्मा दान कर कोरोना संक्रमितो को जीवन दान देने मैं अहम भूमिका निभाई गई।#UttarakhandPolice #DonatePlasmaSaveLives pic.twitter.com/kmqpQJYWug
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) May 6, 2021
उत्तराखंड पुलिस के जवानों से सीखने की जरूरत है। जो लोग कोरोना से उबर चुके हैं अब वे प्लाज्मा दान कर दूसरों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। इस लड़ाई में हम सबको मिलकर काम करना होगा।
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Lt Gen Dr Mohan Bhandari
May 7, 2021, 3:11 pmविगत कई महिनों/सप्ताहों से लगातार हर फोरम पर राज्य के शासन और प्रशासन से करोना संक्रमण से हो रहे विनाश को रोकने की गुहार लगा रहा हूं।बार-बार दोनों (TSR) मुख्य मंत्रियों को बराबर ट्वीट करता रहा हूं ।कुंभ और अन्य अविवेकपूर्ण निर्णयों ने राज्य को पूर्णतया नष्ट होने की कगार पर खड़ा कर दिया है।पुन: मुख्य मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि अविलंब 15 दिनों का पूरे राज्य में लौक डाउन का आर्डर दें।
REPLYउत्तराखंड के गांवों में भी घुसा कोरोना, 10 मई तक सरकार लेने जा रही बड़ा फैसला - Hill-Mail | हिल-मेल
May 8, 2021, 1:06 pm[…] […]
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