उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या इस बार भी सबसे अधिक 66 है, मगर आबादी के हिसाब से देखें तो भारतीय सेना को जांबाज देने में उत्तराखंड अव्वल नजर आता है। राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे राज्य भी संख्या बल पासिंग आउट कैडेट में उत्तराखंड से पीछे हैं।
जब भी बात देश की सरहदों की सुरक्षा की होती है तो उत्तराखंड के जांबाजों का नाम बड़ी शान से लिया जाता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना देवभूमि के रणबांकुरों की पुरानी परंपरा रही है। सेना में सिपाही का रैंक पर हो या फिर अधिकारी, सभी में उत्तराखंड का दबदबा कायम है।
भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से सैन्य प्रशिक्षण लेकर इस बैच में 13 जून को पासआउट होने जा रहे जेंटलमैन कैडेटों की संख्या भी इस सच्चाई को बयां करती है। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे अधिक जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है। दशकों पूर्व से ही यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।
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पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड रही होगी जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की तादाद अधिक न रही हो। यहां यह बात गौर करने वाली है कि राज्य की आबादी देश की कुल आबादी का महज 0.84 प्रतिशत है। यदि इसकी तुलना सैन्य अकादमी से शनिवार को पासआउट होने वाले 333 भारतीय कैडेटों से करें तो इसमें 31 कैडेटों के साथ उत्तराखंड की हिस्सेदारी नौ फीसद से अधिक है।
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उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या इस बार भी सबसे अधिक 66 है, मगर आबादी के हिसाब से देखें तो भारतीय सेना को जांबाज देने में उत्तराखंड अव्वल नजर आता है। राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे राज्य भी संख्या बल पासिंग आउट कैडेट में उत्तराखंड से पीछे हैं। पासिंग आउट बैच में शामिल कैडेटों की संख्या के लिहाज से बिहार उत्तराखंड के साथ है। सेना को अफसर देने के मामले में हरियाणा का भी दबदबा बना हुआ है। इस बार हरियाणा के 39 कैडेट पास आउट हो रहे हैं।
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