शौर्य डोभाल ने कहा कि सरकार ने 200 करोड़ रुपये के नीचे के लोकल टेंडर खोल दिए हैं। देश का 50 अरब डॉलर का डिफेंस बजट हर साल का है। हमारे पास एक्स सर्विसमेन हैं। अगर हम हर क्षेत्र के लिए कंसल्टेंसी ही खोल दें जैसे डिजाइन, रिसर्च कंसल्टेंसी। फैक्ट्री कहीं और लगे पर नॉलेज वाला काम उत्तराखंड में हो सकता है।
हिल मेल के लाइव शो ‘ई-रैबार’ में जुड़े इंडिया फाउंडेशन के निदेशक शौर्य डोभाल (Shaurya Doval) ने कहा कि कोरोना महामारी में भारत सरकार ने हर एक जान बचाने की कोशिश की है और सही समय पर सटीक फैसला लिया। दुनिया के कई देशों की लीडरशिप ऐसा फैसला नहीं ले पाई क्योंकि उन्होंने मान लिया था कि यह एक मेडिकल प्रॉब्लम है, लाखों लोगों की जानें जाएंगी, हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे यहां जानें नहीं जा रही हैं पर भारत का तंत्र पिछले 2 महीने से इस कोशिश में लगा है कि हमें हर जान को बचाना है। पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि जान सबसे महत्वपूर्ण है। अब अनिश्चित स्वास्थ्य संकट के बीच सरकार के आर्थिक पैकेज को उसी हिसाब से देखा जाना चाहिए।
पार्टी के माध्यम से मैं कुछ टास्क फोर्स में भी था। इस संकट में आर्थिक पहलू के हिसाब से करीब डेढ़ महीने पहले हमें यह काम सौंपा गया कि ऐसे में आर्थिक रिस्पांस क्या होना चाहिए। अब यह स्थिति है और हमें पता नहीं है कि यह कब तक रहेगी तो इकॉनमिक रिस्पांस क्या हो। इसके लिए हमारा ऑपरेटिंग डॉक्ट्रीन यह था कि इस आपदा को एक अवसर में तब्दील करना है। हमारे लोगों में ऐसा सामर्थ्य है और वे कर सकते हैं। हम सुनिश्चित करें कि हमारा नुकसान कम से कम हों।
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20 लाख करोड़ का पैकेज आया है और जिसे 5 बड़े क्षेत्रों में बांटा है। इसे हम एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। उत्तराखंड के लिए जरूरी होगा कि अगले 3-4 महीने में हम नुकसान को नियंत्रण करने की कोशिश करें। हमें पता है कि वैक्सीन आने में 12-24 महीने लग सकते हैं, हमें इस संकट के साथ काम करते रहना होगा। 3 महीने के बाद हम गियर शिफ्ट करेंगे और इसे रिवाइवल की तरफ ले जाएंगे। हमने इस पैकेज में ऐसी तैयारी की है जो हमें 3-6 महीने सेट करने में लगेंगे। यह इकॉनमिक रिस्पांस की हमारी डॉक्ट्रीन है।
चर्चा में शामिल वरिष्ठ पत्रकार मंजीत नेगी ने सवाल किया कि कृषि, पशुपालन, पर्यटन, मछली पालन जैसे क्षेत्रों में वह कौन सा क्षेत्र हो सकता है जिसमें केंद्र के पैकेज का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है? इस पर शौर्य डोभाल ने कहा कि उत्तराखंड के जो लोग सर्विस क्लास में है वह सेक्टर के बुरी तरह से प्रभावित होने के कारण वापस आ रहे हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद पहली समस्या होगी कि इन लोगों को रोजगार क्या और कैसे दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह लेबर फोर्स ऐसी नहीं है कि जो आ रही है और जल्दी ही चली जाएगी क्योंकि सर्विस सेक्टर में अगले एक साल तक विस्तार की संभावना नहीं है।
पर्यटन, सेवा क्षेत्र धीरे-धीरे उबरेगा। उत्तराखंड को यह बात समझनी होगी। अगले 3-6 से महीने में उत्तराखंड को क्षमता निर्माण करने के लिए यह सोचे कि वह कौन से सेक्टर है जिसमें वह आगे बढ़ा सकता है। उत्तराखंड को जीतना है तो प्रदेश के लिए शॉर्ट रन के लिए उसे ग्लोबल बनना होगा। लेबर और क्वालिटी ऑफ मैन पावर उत्तराखंड की अपनी विशेषता है। इस इंडस्ट्री पैकेज के तहत उत्तराखंड को उन इंडस्ट्री पर फोकस करना चाहिए जिससे प्रदेश वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में आ सकता है। उत्तराखंड को देश के बाहर मार्केट ढूंढना होगा। पौड़ी में बनाकर दिल्ली बेचने का कॉन्सेप्ट छोड़कर अब लंदन, न्यूयॉर्क में बेचने की कोशिश करनी होगी।
हमारे पास क्वालिटी मैनपावर है। हम कहें कि ऑनलाइन एजुकेशन शुरू कर सकते हैं और दुनिया में एक बड़ा वर्ग इस दिशा में बढ़ रहा है और बढ़ेगा। क्या हम उत्तराखंड के शहरी क्षेत्र में हाई बैंडविंड्थ कैपेसिटी दे कर ऐसे स्टार्टअप तैयार कर सकते हैं जो इसमें दुनिया में अपना नंबर हासिल कर सकें। हमें पारंपरिक सोच से अलग सोचना होगा। केंद्र सरकार अगले एक साल-डेढ़ साल एमएसएमई को प्रमोट करेगी। पीएम मोदी ने कहा है कि गो लोकल और इसे ग्लोबल ब्रांड बनाओ।
लेबर की क्वालिटी हाई, प्रवासी श्रमिक हैं, एजुकेशन संस्थान हैं। हम हर सेक्टर में डील नहीं कर पाएंगे। उत्तराखंड का फिलॉसफिकल अप्रोच तय करना होगा।
पूर्व सैनिक हो सकते हैं बड़ा एसेट ….
शौर्य डोभाल ने कहा कि सरकार ने 200 करोड़ रुपये के नीचे के टेंडर लोकल खोल दिए हैं। देश का 50 अरब डॉलर का डिफेंस बजट हर साल का है। डिफेंस इंडस्ट्री खरीदारी करेगी। उत्तराखंड के पास फैक्ट्रियों की जगह नहीं है लेकिन हमारे पास एक्स सर्विसमेन हैं। अगर हम हर क्षेत्र के लिए कंसल्टेंसी ही खोल दें जैसे डिजाइन, जो जमीन नहीं नहीं मांगती। रिसर्च कंसल्टेंसी, क्योंकि सरकार स्वदेशीकरण मांगेगी। एक रिवाल्वर के अंदर, एक मशीनगन के अंदर इंप्रोवाइज कैसे करते हैं, ये उस आदमी से बेहतर कौन जानता है, जिसने 20 साल गढ़वाल राइफल्स के अंदर कश्मीर में सर्विस की है। हम इंटेलिजेंस फ्रेमवर्क में आ जाएं। उसके लिए स्टार्टअप शुरू हो जाएं। जो कहें ठीक है, फैक्ट्री कहीं और लगे पर नॉलेज वाला काम उत्तराखंड में हो सकता है।
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