उत्तराखंड में मनरेगा में काम करने वाले या काम की तलाश कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। शहरों से गांव लौटे लोगों के लिए यह राहत की बात है कि गांव में रहते हुए अब उन्हें रोजगार की डबल गारंटी मिल सकती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि उत्तराखंड सरकार की पूरी योजना क्या है….
कोरोना काल में लोगों की जान बचने के साथ उनकी रोजी-रोटी का मसला सबसे अहम है। बड़ी संख्या में अकुशल श्रमिकों की नौकरियां गई हैं और मजबूरन लोगों को उत्तराखंड के अपने गांव लौटना पड़ा है। ऐसे में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कानून यानी मनरेगा ने उन्हें बड़ा सहारा दिया है। इसके तहत उन्हें न सिर्फ 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिली है बल्कि ऐसे मुश्किल वक्त में उनके लिए दो जून की रोटी कमाना आसान हुआ है। अब ऐसे लोगों के लिए अच्छी खबर है।
जी हां, मनरेगा में काम करने वालों को अब 100 नहीं बल्कि डबल यानी 200 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलने वाली है। त्रिवेंद्र सरकार ने इस दिशा में प्रयास तेज कर दिया है। बताया जाता है कि इस बाबत प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। साथ ही प्रदेश सरकार ने मांग की है कि मनरेगा में खेती-किसानी को भी शामिल किया जाए, जिससे रोजगार की संभावनाओं को व्यापक किया जा सके।
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आपको बता दें कि उत्तराखंड में इस समय मनरेगा के तहत 100 दिनों तक काम उपलब्ध कराने की गारंटी दी जाती है। हालांकि इसे बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग हो रही है। कोरोना काल में ही देखें तो पिछले महीनों में मनरेगा के तहत रोजगार पाने वालों की संख्या सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश में बढ़ी है। प्रदेश की बात करें तो यहां 5 लाख से ज्यादा लोग मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। पिछले साल जुलाई महीने की ही तुलना करें तो इस साल करीब एक लाख से अधिक श्रमिक इस योजना से जुड़े हैं।
इस समय करीब 5.10 लाख श्रमिक इस योजना से जुड़ चुके हैं। लॉकडाउन के कारण इस साल 20 अप्रैल से मनरेगा के तहत काम शुरू हो गए थे। इस बार करीब 36 हजार नए श्रमिक मनरेगा से जुड़े हैं। इसमें से अधिकतर वे लोग हैं, जो शहरों से गांवों में लौटे हैं।
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खास बात यह है कि मनरेगा के तहत प्रदेश में कुल वर्कफोर्स में से करीब 50 प्रतिशत महिलाएं हैं। अब न्यूनतम 100 दिन का रोजगार होने पर विभिन्न योजनाओं का विस्तार भी सरकार को करना होगा ताकि कम से कम 6 महीने तक लोगों को काम मिलता रहे।
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2015-16 में 7.51 लाख लोगों को रोजगार दिया गया। साल 2016-17 में 7.95 लाख, साल 2017-18 में 7.35 लाख, साल 2018-19 में 4.45 लाख और इस साल 2019-20 में जुलाई तक ही 5.10 लाख लोगों को रोजगार दिया जा चुका है।
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