विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि जिस तरह से बाजारों में भीड़ बढ़ रही है और राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियों से छूट दी जा रही है, कोरोना की तीसरी लहर दो महीने में आ सकती है। सभी राज्य इससे निपटने की तैयारियों में लगे हैं। कुछ एक्सपर्ट ने कहा है कि इस बार बच्चे कोरोना की चपेट में ज्यादा आ सकते हैं।
उत्तराखंड में दूसरे राज्यों की तरह कोरोना के मामले काफी कम हो गए हैं। 27 जून को शाम 6 बजे तक प्रदेश में 82 और नए मामले सामने आए। लॉकडाउन जैसी पाबंदियों से धीरे-धीरे छूट भी दी जा रही है लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए सरकार ने साफ कर दिया है कि पूरी तरह से कर्फ्यू खत्म नहीं किया जाएगा।
जी हां, सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से तैयार है। अस्पतालों में आईसीयू, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि की पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है। इन संसाधनों में कई गुना वृद्धि हुई है। सरकार अभी कर्फ्यू में पूरी तरह ढील देने नहीं जा रही है। कुछ ढील दी जाएगी, लेकिन कर्फ्यू पूरी तरह बंद नहीं होगा।
पत्रकारों से बातचीत में उनियाल ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने चारधाम यात्रा संबंधित जिलों के लोगों के लिए खोलने का निर्णय लिया है। एक जुलाई से चमोली जिले के लोग बद्रीनाथ धाम, रुद्रप्रयाग के लोग केदारनाथ धाम और उत्तरकाशी जिले के लोग गंगोत्री, यमुनोत्री के दर्शन कर सकेंगे।
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ऐसे में युद्ध स्तर पर तीर्थ पुरोहितों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है। सभी तीर्थयात्रियों को आरटी पीसीआर या एंटीजन निगेटिव रिपोर्ट जरूर लानी होगी। यात्रा की मॉनीटरिंग की जाएगी। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है।
खुद सीएम तीरथ सिंह रावत कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। 2 दिन पहले ही सीएम ने बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ के जिला अस्पतालों सहित हिमालयन अस्पताल, जौलीग्रांट एवं कोरोनेशन अस्पताल, देहरादून में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों का वर्चुअली लोकार्पण एवं एक ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र का शिलान्यास किया। इनके द्वारा प्रतिदिन 4.76 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होगा।
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