डीएम देहरादून ने कहा कि इस समय ऐसे लोगों की जरूरत है जिनका स्वरोजगार है और वे आसपास के लोगों को भी रोजगार दे सके। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने में बाहर से आने वाले स्किल्ड मैनपावर को कनेक्ट करने की कोशिश हो रही है।
हिल मेल के शो ‘ई-रैबार’ में लॉकडाउन 3 समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले यानी 16 मई को लॉकडाउन-4 पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में हमारे गेस्ट थे देहरादून के जिलाधिकारी (DM Dehradun) डॉ. आशीष श्रीवास्तव और मॉडरेटर की भूमिका में आरजे काव्य। DM देहरादून ने बताया कि 15 मार्च को पहला केस आया था और आज 44 मामले (corona in Dehradun) हो चुके हैं। यह ऐसी आपदा है जिसके बारे में कोई ट्रेनिंग नहीं हुई है। प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि वह मानवीय संवेदनाओं का ख्याल रखते हुए लोगों की जान बचाए और साथ ही जो लोग फील्ड में काम कर रहे हैं उनकी भी सुरक्षा सुनिश्चित हो।
देहरादून में पहले केस से अब तक का हाल
उन्होंने कहा कि पहला पेशेंट आने के बाद 2-3 दिन में केस आए और हमें एक केंद्रीय संस्थान को 28 दिन के लिए लॉकडाउन करना पड़ा और उतनी बड़ी आबादी को उनकी जरूरत की चीजें दी गईं और लोगों के अंदर घबराहट को कम करने की कोशिश की गई। इसके बाद दूसरा संकट सामने आया कि एक इवेंट की वजह से अचानक केस बढ़ने लगे। पहले की तुलना में 3 गुना से ज्यादा केस हो गए। धीरे-धीरे लॉकडाउन में ढील देने बाद लोगों को कुछ समस्याएं होने लगीं। अब मई में देश के अलग-अलग प्रदेशों से प्रवासी आ रहे हैं और पहाड़ की तरफ जाने वाले काफी लोग देहरादून से होकर जा रहे है इसलिए यह चुनौती है कि उनकी जांच हो, लिस्ट बने और संबंधित राज्य भेजने की व्यवस्था हो।
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उन्होंने कहा कि हर रोज नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों के पास पैसे नहीं हैं, बाजार बंद हैं, हेल्थ की जांच, प्रवासियों के लिए व्यवस्था करने के साथ सब कुछ मानवीय आधार पर किया जा सके, यह भी समझना है ताकि उन्हें अलग-थलग का अहसास न हो। देहरादून के बॉर्डर पर प्रवासियों की जांच लगातार की जा रही है। DM ने बताया कि जब लॉकडाउन हुआ तो बहुत सारे ऐसे लोग थे जो खाना नहीं बना सकते थे, उनके पास खाना था ही नहीं। ऐसे में राशन कैसे दिया जाए। कुछ लोग टिफिन पर आधारित थे। इस काम में सिविल सोसाइटी के लोगों ने काफी मदद की।
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सिविल सोसाइटी के लोगों ने प्रशासन को जानकारी भी पहुंचाई कि यहां लोगों के पास खाना नहीं है या और भी समस्याएं। अब जब प्रवासी बाहर से आ रहे हैं तो आस-पड़ोस की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे यह ध्यान रखें कि लोग होम क्वारंटीन का पालन करें क्योंकि यब सबकी हेल्थ से जुड़ा है। देहरादून में इस चीज का अनुभव काफी अच्छा रहा है कि यहां लोगों ने काफी सहयोग किया है।
अभी जो गांव में भीड़ बढ़ रही है, CDO बाहर से आने वाले लोगों की मैपिंग कर रहे हैं कि वे क्या काम कर सकते हैं। हम क्या मदद कर सकते हैं। हम बीच की कड़ी बनना चाहते हैं जिससे संबंधित व्यक्ति को बैंक से लोन या किसी अन्य संस्थान से जोड़ सके और उसके रोजगार की व्यवस्था कर सकें। डीएम देहरादून ने कहा कि इस समय ऐसे लोगों की जरूरत है जिनका स्वरोजगार है और वे आसपास के लोगों को भी रोजगार दे सके। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने में बाहर से आने वाले स्किल्ड मैनपावर को कनेक्ट करने की कोशिश हो रही है।
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May 17, 2020, 12:32 pm[…] […]
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