NDRI के निदेशक डा. चौहान की गिनती देश के शीर्ष पशु विज्ञानियों में होती है। इससे पहले, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के निदेशक रहे डा. मनमोहन सिंह चौहान भारत में जानवरों की क्लोनिंग के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं। उन्हें कृषि और दुग्ध पालन के क्षेत्र में इनोवेटिव पहल के लिए जाना जाता है।
उत्तराखंड के बेटे डा. मनमोहन सिंह चौहान ने एक बार फिर देवभूमि को गौरवान्वित किया है। उनकी अगुवाई में लगातार दूसरी बार पंजाब के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान – NDRI को देश में सबसे बेहतर कृषि संस्थान आंका गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – ICAR ने देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि संस्थानों की रैंकिंग तैयार की है। उत्तराखंड के पंतनगर स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को देश में चौथा स्थान मिला है।
ICAR की साल 2020 की रैंकिंग में NDRI के बाद दूसरे पायदान पर ICAR-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली को रखा गया है। तीसरा स्थान भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर, बरेली, चौथा स्थान जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर और पांचवां स्थान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना को मिला है।
डा. चौहान की गिनती देश के शीर्ष पशु विज्ञानियों में होती है। इससे पहले, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के निदेशक रहे डा. मनमोहन सिंह चौहान भारत में जानवरों की क्लोनिंग के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं। उन्हें कृषि और दुग्ध पालन के क्षेत्र में इनोवेटिव पहल के लिए जाना जाता है। डा. चौहान ने NDRI में निदेशक बनने से पहले शुरुआती दौर में प्रधान वैज्ञानिक (पशु जैव प्रौद्योगिकी) के पद पर काम किया। गाय, भैंस, याक एवं बकरी से जुड़े अनुसंधान के क्षेत्र में उन्हें काफी ख्याति हासिल है। उन्होंने अनुसंधान के 32 वर्षों में पशुधन कार्यकुशलता के लिए अनेक क्षमतावान जनन जैव प्रौद्योगिकी विकसित की हैं।
पौड़ी गढ़वाल के जामल गांव के रहने वाले
डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का जन्म 5 जनवरी, 1960 को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर के जामल गांव में हुआ। जयहरीखाल से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और बीएससी करने के बाद डा. चौहान ने 1981 में श्रीनगर, गढ़वाल से एमएससी की। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी जाकर पीएचडी का थीसिस लिखा। मनमोहन सिंह चौहान को 1986 में पीएचडी की डिग्री मिली।
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हाल ही में डा. चौहान को भारतीय विज्ञान अकादमी की फेलोशिप मिली है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि अनुसंधान क्षेत्र में 1935 से अब तक केवल दस वैज्ञानिकों को यह स्थान प्राप्त हुआ है। NDRI से डा. चौहान पहले वैज्ञानिक हैं, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह फेलोशिप भारत में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए दी जाती है, जिसमें राष्ट्रीय कल्याण की समस्याओं के व्यावहारिक अनुप्रयोग भी शामिल हैं। डा. चौहान नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के फेलो, नेशनल एकेडमी ऑफ डेयरी साइंसेज के फेलो व सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन के फेलो हैं।
यमकेश्वर में किसानों के लिए NDRI की बड़ी पहल
NDRI के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान के प्रयासों से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर में एक बड़ी पहल की गई है। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा किसानों को कृषि और दूध के उत्पाद तैयार करने कीआधुनिक तकनीकों के प्रति जागरुक करने के लिए तल्ला बनास में बनाई गई गोमुख डेयरी को विशेष मदद की गई है। यहां आधुनिक तकनीकों का प्रयोग गायों के दूध, उनकी देखरेख और दूध से बनने वाले उत्पादों के लिए किया जा रहा है। NDRI के वैज्ञानिक नियमित रूप से यहां आ रहे हैं। आने वाले दिनों में एनडीआरआई इस क्षेत्र में कई तरह गतिविधियां कराएगा।
यहां देखें पूरी रैंकिंग –
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