कोरोना काल में ऋषिकेश की पवित्र धरती पर अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव शुरू हो गया है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए ज्यादा विस्तार नहीं दिया गया। दुनियाभर में कोरोना के कारण विदेशी योग साधक इसमें हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। मुनीकीरेती में आए आचार्य, संतों ने योग के महत्व पर प्रकाश डाला।
योगनगरी ऋषिकेश में सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2021 का आगाज हो चुका है। पहले ही दिन बड़ी संख्या में योग साधक पहुंचे। गढ़वाल मंडल विकास निगम के गंगा रिजॉर्ट में 350 से ज्यादा साधक भाग ले रहे हैं। सोमवार को जीएमवीएन गंगा रिजॉर्ट स्थित भरत घाट पर महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी, योगिनी ऊषा माता, पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण, जीएमवीएन के उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंघल, जीएमवीएन के महाप्रबंधक आशीष चौहान और नगरपालिका मुनिकीरेती ढालवाला के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी उपस्थित थे।
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उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि योग की कई विधाएं हैं। योग आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है, पूरा विश्व भी इससे जुड़ता है। उन्होंने कहा कि योग से सकारात्मकता आती है और सकारात्मकता से मनुष्य में रचनात्मकता आती है।
पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने इस अवसर पर योग की महत्ता, आवश्यकता एवं उपयोगिता के संदर्भ में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोगों को योग की उपयोगिता और समझ में आई है। योग को लगातार करने से कोई भी बीमारी नहीं आती है। योग प्रवचन या कोई कथा नहीं है बल्कि प्रयोगात्मक कला है। उन्होंने कहा कि दुनिया में योग और आयुर्वेद से जीवन के प्रति जागृति लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि योग करने वालों को अवसाद नहीं होता है।
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि योग की असली परिभाषा आत्मा से परमात्मा से मिलन करवाना है। योग करने के लिए दिनचर्या में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक महावीर सिंह रांगड़ ने कहा कि 1991 से शुरू हुए इस महोत्सव में इस साल करीब 400 लोगों ने पंजीकरण कराया है।
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