प्रवासियों को भेजे पत्र में कहा है कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ों को काटकर खेत बनाए, उन खेतों को उपजाऊ बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है। आज यही खेती हमारी भागमभाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है।
लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के अपने गृहराज्य में ही रुकने की इच्छा जताने से सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत काफी खुश हैं। पलायन आयोग ने एक रिपोर्ट सीएम को सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के बाद 10 जिलों में करीब 60000 प्रवासी उत्तराखंडी लौटकर आए हैं, इनमें से तीस फीसदी ने आगे भी यहीं रुकने की इच्छा जताई है। इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रवासी उत्तराखंडियों को एक भावुक पत्र लिखा है। सीएम रावत ने शुरुआत पौड़ी जिले से की है। उन्होंने गढ़वाली में लिखे इस पत्र में कोविड-19 की वैश्विक महामारी के चलते अपनी जन्मभूमि पर लौटे प्रवासी उत्तराखंडवासियों के स्वस्थ एवं सुखी जीवन की कामना की है।
अपने गांव को लौटे प्रदेश वासियों से गढ़वाली भाषा में प्रेषित पत्र के माध्यम से सीएम त्रिवेंद्र ने कहा है कि हमारे प्रवासी भाइयों ने देश व विदेश में रहकर अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाई है। अब वे यही कार्य अपने घर गांव में भी कर सकते हैं, इससे उनका परिवार एवं हमारा प्रदेश भी आर्थिक रूप से खुशहाल होगा।
उन्होंने पौड़ी गढ़वाल के प्रवासियों को भेजे पत्र में कहा है कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ों को काटकर खेत बनाए, उन खेतों को उपजाऊ बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है। आज यही खेती हमारी भागमभाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है। जबकि हमारे इन खेतों के उत्पादों की मांग देश व दुनिया में हो रही है। हमारे मंडुवा, झंगोरा, दाल, गहत, राई, जौ, तिल, शहद, गाय का घी व बुरांश के जूस की मांग तेजी से बढ़ रही है। आज जब दुनिया के उद्योगपति भी अपनी खेती पर ध्यान दे रहे हैं तो हम क्यों ना अपनी खेती को अपने जीवन यापन का आधार बनाएं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुविधाएं दे रही है। होम स्टे, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना, दुग्ध पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, बागवानी, उद्यानीकरण, सब्जी उत्पादन, मसाला फसलों का उत्पादन, पुष्प उत्पादन हेतु प्रोत्साहित कर रही है। यही नहीं इन उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही इसके मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडुआ के लड्डू, बिस्कुट, केक, झंगोरा की खीर व लड्डू की भी बाजार में बड़ी मांग है। यह मांग तभी पूरी हो सकती है जब हम अपनी परंपरागत खेती के प्रति ध्यान देकर उसे बढ़ावा देंगे। यदि हमारे प्रवासी बंधु अपने घर में रहकर यह कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए राज्य सरकार उनकी पूर्ण रूप से मदद करने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अपने गांव को लौटे लोग अपना स्वयं का कार्य आरंभ कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे, इसमें सरकार प्रतिबद्धता के साथ उनकी सहयोगी रहेगी।
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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने बताया कि अपना मनचाहा कार्य करने के लिए वे अपने विकास खंड कार्यालय अथवा जिला मुख्यालय में स्थापित आजीविका सेल के फोन नंबर 01368 223084 या मोबाइल नंबर 9412028718 अथवा dpropauri@gmail.com पर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Sunil pal singh rawat
April 25, 2020, 10:12 amCm sahab. Sabse pahle gaon main jangli janber se protection chahiye(din main bandar or night main suar kheton ko nuksaan kar dete hai. Pls es per sangyan le.
REPLYलॉकडाउन में लगातार उत्तराखंडी मित्रों का हालचाल ले रहे पीएम मोदी, बाल मिठाई भी याद आई - Hill-Mail | हिल-मे
April 25, 2020, 12:41 pm[…] […]
REPLYदेहरादून में बजी फोन की घंटी, हैलो मास्टर जी, मैं नरेंद्र मोदी बोल रहा हूं.... - Hill-Mail | हिल-मेल
April 25, 2020, 3:51 pm[…] […]
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