कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग की प्रेरणा दे रहा पहाड़

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग की प्रेरणा दे रहा पहाड़

सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब होता है सामाजिक दूरी। डॉक्टरों और जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस से बचने का फिलहाल यही एक उपाय है। भारत में तेजी से बढ़ते मामलों के बीच उत्तराखंड के लोग इसका बखूबी पालन करते दिख रहे हैं।

दुनियाभर में 20 हजार से ज्यादा लोगों लोगों की जान ले चुके कोराना वायरस का अभी कोई टीका या इलाज विकसित नहीं हो पाया है। ऐसे में सरकार इसके संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दे रही हैं, जो कोरोना के मरीजों से दूसरे लोगों को संक्रमण से बचाने का उपाय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हर संबोधन और ट्वीट में इसका आह्वान किया है। पिछले 2 दिनों में देशभर में घोषित लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड के लोगों की प्रेरणा देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। जी हां, किराने की दुकान हो या दवाओं की लोग एक दूसरे से दूरी बरत रहे हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी गुरुवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सबसे जरूरी है- सोशल डिस्टेंसिंग। लॉकडाउन के दौरान जरूरी सामान खरीदते हुए इसी तरह सावधानी बरतें, अनावश्यक रूप से बाजार में भीड़ न होने दें। सभी का सहयोग मिला तो हम जल्द ही इस कोरोना वायरस पर विजय प्राप्त करेंगे।’

https://www.facebook.com/tsrawatbjp/photos/pcb.3197726890247810/3197726420247857/?type=3&theater

 

एक दिन पहले बुधवार को बनारस के लोगों से संवाद के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला और कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई 21 दिनों तक चलेगी। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की बातों का असर होता दिख रहा है। लोग जागरूक हुए हैं और हाथों को सैनिटाइज कर रहे हैं। बहुत जरूरी काम से ही घर से बाहर कदम रख रहे हैं। दरअसल, हम जितनी बार घर से बाहर कदम रखेंगे उतनी बार कोरोना वायरस के घर में प्रवेश करने का खतरा पैदा हो जाएगा।

uttarakhand can become inspiration against corona

अच्छी बात यह है कि शहर ही नहीं गांवों के लोग भी बढ़-चढ़कर सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं। एक तस्वीर (ऊपर बाएं) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग से आई है। मेन रोड से ममकोट करीब 13 किमी दूर है। आने-जाने की गाड़ियां और समय तय है। यहां सामान खरीदने के लिए महज 3-4 दुकानें हैं लेकिन गांव के लोग बिना परेशान हुए आराम से एक दूसरे से दूरी बनाते हुए खरीददारी कर रहे हैं।

शहरों की तरह यहां भी दुकानदारों ने ग्राहकों के लिए घेरा या गोला तय कर रखा है और उसी के हिसाब से लोगों को सामान दिया जा रहा है। सच में, अगर इसी तरह उत्तराखंड के लोगों समेत पूरे देश ने धैर्य और संयम के साथ घर में खुद को कैद रखते हुए सामाजिक दूरी बनाए रखी तो 21 दिन में देश कोरोना वायरस के खिलाफ यह जंग निश्चित ही जीत जाएगा।

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