देहरादून में रविवार को कोरोना के तीन और मामले सामने आए। चिंता की बात ये है कि पता ही नहीं चल पा रहा है कि ये कोरोना की चपेट में कैसे आए। इससे पहले सरकार ने हॉटस्पॉट को छोड़कर बाकी जिलों में छूट देने का जो फैसला लिया था, उसे वापस ले लिया गया है। रेड जोन देहरादून में तो तमाम कोशिशों के बाद भी केस सामने आ रहे हैं। आखिर क्या है इसकी वजह?
वैसे तो उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 जिलों से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए। तीन जिले इससे तेजी भी बाहर भी आ गए। लेकिन देहरादून जिले में बढ़ते मामले प्रशासन की चिंता का सबब बने हुए हैं। रविवार को यहां से तीन नए मरीज मिले, जिसमें एक दंपती और एक नर्सिंग स्टाफ है। स्वास्थ्य कर्मी में संक्रमण का यह राज्य में पहला मामला है। ऋषिकेश एम्स में कार्यरत कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की खबर ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। वह ऋषिकेश में बीस बीघा कॉलोनी में किराये पर रहते थे। प्रशासन ने फौरन इस इलाके को सील कर दिया है।
कहां और किससे हो रही गलती?
प्रदेश में कुल मामलों की संख्या अब 51 पहुंच गई है। राहत की बात यह है कि 28 मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। अल्मोड़ा में 1, पौड़ी में 1, ऊधमसिंह नगर में 4, हरिद्वार में 7, नैनीताल में 10 लेकिन सबसे ज्यादा देहरादून में 28 मामले सामने आ चुके हैं। रविवार को सामने आए तीन मामलों में दो लोग दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती प्रसूता और उसका पति है। ऐसे में सवाल और चिंता यह है कि देहरादून में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा क्यों हैं? क्या लोग लक्ष्मण रेखा पार कर रहे हैं या कुछ लोग बीमार होने के बाद भी अस्पताल न जाकर इसे छिपा रहे है?
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विभाग इस बात से और भी टेंशन में
एक बात जो स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा रहा है, वह यह कि कुछ मरीजों में लक्षण ही नहीं दिखे हैं। अगर ऐसे मामले बढ़े तो ये चुपचाप कोरोना के वाहक बनकर संक्रमण फैला सकते हैं। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि रविवार को सामने आए कोरोना के तीनों मामलों में न कोई विदेश गया था और न ही तीनों ये बता पा रहे हैं कि क्या वे किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए थे?
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एम्स स्टाफ को लेकर माना जा रहा है कि वह बिना लक्षण वाले, जिसे एसिम्टोमेटिक मरीज कहते हैं के संपर्क में आया होगा। लेकिन दून अस्पताल में भर्ती प्रसूता और उनके पति किसके संपर्क में आए, यह साफ नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आशंका यह है कि ऐसे लोग जो कोरोना की चपेट में हैं वे क्वारंटीन से बाहर निकल रहे हैं या अस्पताल नहीं जा रहे हैं। अगर ऐसा है तो वे कई और लोगों को बीमार कर सकते हैं।
जमाती कनेक्शन तो नहीं?
आशंका यह भी जताई जा रही है कि देहरादून की आजाद कॉलोनी में 5 जमाती संक्रमित पाए गए थे। यह दंपती पास में ही किराए पर रह रहे थे। हो सकता है कि आते-जाते परिवार का कोई सदस्य संक्रमण की जद में आ गया हो। दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर गंभीर रूप से समझने वाली बात यह है कि बिना जांच के यह पता नहीं किया जा सकता कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। ऐसे में कोरोना के खतरे को टालने के लिए सरकार लगातार कह रही है कि घर की ‘लक्ष्मण रेखा’ पार न करें क्योंकि जितनी बार आप घर से बाहर निकलेंगे, उतनी बार कोरोना को आपके घर में दाखिल होने का एक मौका मिलेगा। इसके साथ ही अगर खांसी, बुखार या ऐसे लक्षण बने रहे तो चिकित्सक से परामर्श लें।
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लॉकडाउन उल्लंघन भी कम नहीं
देहरादून में लॉकडाउन उल्लंघन के मामले भी कम नहीं है। रविवार को प्रदेश में 39 मुकदमे दर्ज किए गए और 391 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इस तरह से अब तक 2189 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं और 10,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह अपने आप में दिखाता है कि लोग लॉकडाउन में घर से बेवजह बाहर निकलने की बड़ी गलती कर रहे हैं। ऐसा देहरादून में भी हो रहा है।
इन सबके बीच राहत की बात
लॉकडाउन में कोरोना को लेकर किसी तरह से पैनिक होने की जरूरत नहीं है। अब भी उत्तराखंड में केवल एक फीसदी सैंपल ही पॉजिटिव पाए गए हैं। प्रदेश में अब तक 4726 सैंपल की जांच की गई है, जिसमें 51 केस पॉजिटिव मिले हैं। प्रदेश में 15 मार्च को कोरोना का पहला मामला सामने आया था।
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April 27, 2020, 9:50 am[…] देहरादून में थम नहीं रहे कोरोना के माम… […]
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