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केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा 15 दिनों के बाद फिर से शुरू हो गई है। 31 जुलाई की रात को केदारनाथ धाम का पैदल रास्ता कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था जिसको बनाने के लिए 260 मजदूरों ने कड़ी मेहनत की और उसके बाद अब फिर से केदारनाथ यात्रा शुरू हो गई है।
READ MOREकेदारनाथ क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक और भूगर्भीय स्थिति ऐसी है कि वहां भूस्खलन, भूकम्प और बादल फटने जैसी प्राकृतिक घटनाओं के साथ चलने की कला सीखनी ही होगी। अगर हमने प्रकृति के प्रतिकूल जिद नहीं छोड़ी तो भगवान केदारनाथ के कोप का बार-बार भाजना बनना ही होगा।
READ MOREकेदारघाटी में रेस्क्यू अभियान का प्रथम चरण पूरा हो गया है। केदारनाथ में स्वेच्छा से रुके 78 लोगों को एमआई-17 के जरिये गुप्तकाशी पहुंचाया गया, जिनमें स्थानीय दुकानदार, साधु-संत, घोड़ा-खच्चर चालक आदि शामिल थे।
READ MORE31 जुलाई को केदारघाटी में बादल फटने की घटना के बाद केदारनाथ आने-जाने का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। केदारनाथ में आये यात्रियों को वहां से निकालना एक चुनौती था लेकिन हेलीकॉप्टर पायलटों की कुशल क्षमता ने इस चुनौती को बखूबी अंजाम दिया।
READ MOREकेदारनाथ यात्रा मार्ग में विभिन्न स्थानों में रुके 15 हजार से भी अधिक लोगों को पैदल तथा हवाई मार्ग से सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। इस रेस्क्यू अभियान में सभी कार्यदायी संस्थाओं ने अपना सहयोग किया है।
READ MOREमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार सचिव आपदा प्रबंधन विनोद सुमन, सचिव पीडब्लूडी पंकज पांडे, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, मुख्य अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग दयानंद पहुंचे केदारघाटी, प्रभावित क्षेत्रों का किया हवाई सर्वेक्षण एवं पैदल निरीक्षण।
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केदारघाटी में हुए उपचुनाव में भले ही बीजेपी यह सीट जीतने में कामयाब रही हो लेकिन केदारघाटी की जनता भाजपा एवं सरकार से खासी नाराज थी। केदारनाथ यात्रा को डायवर्ट करना, स्थानीय युवाओं को अतिक्रमण के नाम पर बेरोजगार करना केदारघाटी में मुख्य मुद्दा रहा। हालांकि, कांग्रेस ने इसे हर चुनावी सभा में जोर शोर से रखा। लेकिन वे इसे वोट में तब्दील नहीं कर पाए।
READ MOREकेदारनाथ में हुए उपचुनाव में जनादेश भाजपा के पक्ष में गया है। इस उपचुनाव को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। वहीं केदारनाथ उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को मुद्दा बनाने पर पूरा जोर दिया था। लेकिन केदारनाथ मंदिर के चक्रव्यूह में कांग्रेस खुद ही फंस गई और उसकी नैया पार नहीं हो पाई।
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